भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और भरोसे को लेकर अक्सर कई प्रश्न उठते हैं। ऐसे में जब किसी प्रतिष्ठित संस्थान का नाम मीडिया की सुर्खियों में आता है, तो स्वाभाविक रूप से चर्चा तेज़ हो जाती है। हाल के दिनों में पारस अस्पताल लापरवाही से जुड़ी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने लोगों का ध्यान खींचा है। लेकिन क्या वास्तव में इन खबरों में सच्चाई है, या यह केवल अधूरी जानकारी पर आधारित धारणा है?
इस लेख में हम तथ्यों, आधिकारिक रिपोर्टों और पारस हेल्थकेयर लिमिटेड की 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट के आधार पर पारस अस्पताल लापरवाही के आरोपों की हकीकत जानने की कोशिश करेंगे — और समझेंगे कि ज़मीनी स्तर पर तस्वीर बिल्कुल अलग है।
पारस हेल्थकेयर: उद्देश्य, दृष्टिकोण और विस्तार
साल 2006 में डॉक्टर धर्मिंदर कुमार नागर द्वारा स्थापित पारस हेल्थकेयर लिमिटेड आज उत्तर भारत के सबसे तेज़ी से बढ़ते बहु-विशेषता वाले स्वास्थ्य सेवा नेटवर्कों में से एक है। कंपनी का मुख्यालय गुरुग्राम (हरियाणा) में स्थित है, और इसका स्पष्ट उद्देश्य है — “अंतर मिटाना, स्वास्थ्य को बेहतर बनाना”, यानी स्वास्थ्य सेवाओं में मौजूद असमानता को दूर करना और गुणवत्ता में निरंतर सुधार लाना।
पारस अस्पताल लापरवाही के आरोपों के बीच यह जानना जरूरी है कि यह संस्थान केवल बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि देश के उन इलाकों में भी काम कर रहा है जहां पहले उच्च-स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं पहुंच से बाहर थीं। वर्ष 2025 तक पारस हेल्थ के आठ अस्पताल पाँच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में कार्यरत हैं — गुरुग्राम, पटना, दरभंगा, पंचकुला, उदयपुर, रांची, श्रीनगर और कानपुर।
इन सभी अस्पतालों की कुल बिस्तर क्षमता 2,135 है और 2,110 से अधिक डॉक्टर एवं नर्सें यहां सेवाएं दे रही हैं। वर्ष 2024-25 में कंपनी का कुल राजस्व ₹12,940.63 मिलियन रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14.6% की वृद्धि दर्शाता है।
प्रदर्शन और पारदर्शिता: आँकड़ों में सच्चाई
मीडिया में भले ही पारस अस्पताल लापरवाही जैसी सुर्खियाँ दिखाई दें, लेकिन कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट 2024–25 कुछ और ही कहानी कहती है।
पारस हेल्थकेयर की रिपोर्ट में दर्ज कुछ प्रमुख तथ्य इस प्रकार हैं:
| मापदंड | वर्ष 2024-25 | वर्ष 2023-24 |
| कुल राजस्व | ₹12,940.63 मिलियन | ₹11,290.39 मिलियन |
| परिचालन लाभ (ईबीआईटीडीए) | ₹1,564.60 मिलियन | ₹1,544.11 मिलियन |
| औसत ऑक्यूपेंसी | 50.78% | 52.34% |
| इन-पेशेंट मरीज | 93,992 | 81,047 |
| सर्जरी की संख्या | 33,072 | 30,219 |
इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि पारस हेल्थ न केवल वित्तीय रूप से मजबूत है, बल्कि इसकी सेवाओं की माँग भी लगातार बढ़ रही है। कोई भी संस्थान जो निरंतर मरीजों का विश्वास जीत रहा हो, उस पर पारस अस्पताल लापरवाही का आरोप टिकना मुश्किल है।
तकनीक और नवाचार: आधुनिक भारत का आधुनिक अस्पताल
पारस हेल्थ अपने डिजिटल और तकनीकी नवाचारों के लिए जाना जाता है।
कंपनी ने एकीकृत इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य अभिलेख (ईएचआर), अस्पताल सूचना प्रणाली (एचआईएस) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित मरीज निगरानी प्रणाली लागू की है। मरीज अपनी रिपोर्ट, दवाइयां और अपॉइंटमेंट मोबाइल एप और पोर्टल के माध्यम से देख सकते हैं।
इसके साथ ही प्रत्येक अस्पताल में नवीनतम चिकित्सा तकनीकें मौजूद हैं —
- 3 टेस्ला एमआरआई
- रोबोटिक सर्जरी
- लिनैक (कैंसर रेडिएशन के लिए)
- ईबीयूएस और ईयूएस (फेफड़ों की जांच तकनीक)
- ईसीएमओ और कैथ लैब
इन सभी आधुनिक उपकरणों और तकनीकों की मौजूदगी यह साबित करती है कि संस्थान का ध्यान रोगी सुरक्षा और गुणवत्ता पर है, न कि पारस अस्पताल लापरवाही पर।
सामाजिक ज़िम्मेदारी और पारदर्शी संचालन
पारस हेल्थकेयर का संचालन पारदर्शिता और कॉर्पोरेट प्रशासन के सिद्धांतों पर आधारित है।
कंपनी की 2025 रिपोर्ट में यह उल्लेख है कि उसने हाल ही में प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस दाखिल किया है। इसका अर्थ है कि कंपनी अब सार्वजनिक निवेशकों के लिए भी जवाबदेह होगी — और ऐसी स्थिति में किसी भी तरह की पारस अस्पताल धोखाधड़ी या जानकारी छुपाने की संभावना नहीं रह जाती।
साथ ही, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी कंपनी ने उल्लेखनीय काम किया है —
- ऊर्जा दक्षता में 4% सुधार
- बैटरी कचरे में 65% कमी
- 336% नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग में वृद्धि
- सभी अस्पतालों में जल शोधन संयंत्र स्थापित
ये सभी प्रयास यह दिखाते हैं कि पारस अस्पताल खबर में भले विवादित बातें दिखें, लेकिन वास्तविकता में यह संस्थान सतत और जिम्मेदार स्वास्थ्य सेवा की दिशा में अग्रसर है।
सम्मान और पुरस्कार: गुणवत्ता की पहचान
पारस हेल्थ को वर्ष 2024–25 में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मान मिले:
- “सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य ब्रांड 2024” – ईटी एज द्वारा
- “डिजिटल स्वास्थ्य तकनीक में सर्वश्रेष्ठ अनुकूलन” – आईएचडब्ल्यू परिषद द्वारा
- “मरीज सुरक्षा में उत्कृष्टता पुरस्कार” – एकेडमी ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा
- “हेल्थकेयर पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर” – डॉक्टर धर्मिंदर नागर को एफआईसीसीआई द्वारा सम्मानित किया गया
इन सम्मानों के बाद भी यदि कोई पारस अस्पताल लापरवाही की बात करता है, तो यह बिना तथ्यों के दावा प्रतीत होता है।
डॉक्टरों और चिकित्सा शिक्षा में निवेश
पारस हेल्थकेयर केवल इलाज नहीं देता, बल्कि भविष्य के डॉक्टर भी तैयार करता है।
कंपनी के डीएनबी स्नातकोत्तर कार्यक्रम में 14 विशेषज्ञताओं में 48 छात्रों को हर साल प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा जीडी गोयंका विश्वविद्यालय के साथ बी.एससी. नर्सिंग कार्यक्रम भी शुरू किया गया है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि यह संस्थान “लापरवाह” नहीं बल्कि ‘सशक्त भारत’ के लिए तैयार डॉक्टरों का निर्माता है।
मीडिया रिपोर्ट्स बनाम ग्राउंड रियलिटी
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट और स्थानीय खबरों में पारस अस्पताल धोखाधड़ी और पारस अस्पताल लापरवाही जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि —
- अस्पतालों के पास एनएबीएच और एनएबीएल जैसी राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त प्रमाणिकता है।
- शून्य डेटा गोपनीयता शिकायतें और शून्य गंभीर कार्य-संबंधी चोटें जैसी उपलब्धियां रिपोर्ट में दर्ज हैं।
- मरीज संतुष्टि दर (नेट प्रमोटर स्कोर) 91.06% है — जो किसी भी निजी अस्पताल के लिए अत्यधिक सकारात्मक परिणाम है।
स्पष्ट है कि पारस अस्पताल खबर में दिखाई गई नकारात्मकता का कोई ठोस आधार नहीं है।
निष्कर्ष: भरोसे का नाम — पारस हेल्थ
भारत जैसे विशाल देश में जहां गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं अब भी सभी तक नहीं पहुँच पाई हैं, वहां पारस हेल्थ जैसी संस्थाएँ समाज के लिए वरदान हैं।
पारस अस्पताल लापरवाही के आरोपों की तुलना में इसके वास्तविक कार्य और नीतियाँ बिल्कुल विपरीत हैं — यह संस्थान “लापरवाही नहीं, लगन” का प्रतीक है।
साल दर साल बढ़ता राजस्व, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश, सैकड़ों मरीजों का सफल उपचार, और डिजिटल पारदर्शिता — यह सब दर्शाता है कि पारस अस्पताल लापरवाही एक मिथक है, जबकि वास्तविकता यह है कि पारस हेल्थ भारत के सबसे विश्वसनीय स्वास्थ्य ब्रांडों में से एक बन चुका है।


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